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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 28 )

       

                       मेरा बाप  मेरा दुश्मन।   ( भाग 28 )


               अब तक आपने  पढ़ा कि तान्या और विशाल की घर से भागकर  शादी करना। इसीलिए  तान्या के मम्मी पापा का आत्महत्या करना। रमला का जन्म होना। इसके बाद तान्या को टेन्शन के कारण ट्यूमर  होजाता है। और  तान्या की मौत होजाती है।

          तान्या की मौत के बाद  विशाल  सारिका के साथ  दूसरी शादी कर लेता है।  कुछ समय तक सब ठीक चलता है जैसे रमला बड़ी होती है वह जिद्दी होगई  है। इसके बाद सारिका अपनी सहेली के साथ मिलकर रमला के साथ विक्रम  के साथ प्यार का नाटक करवाती है लेकिन इस साजिस का जल्दी ही पर्दाफाश   होजाता है। इसके बाद विशाल  रमला की शादी करना चाहता है सारिका  अपने रिश्तेदार  के साथ रमला का रिश्ता तय करवा देती है। इसके आगे की कहानी पढ़िए। 

                    होटल में लड़के वाले भी आचुके थे।  सभी लोग अपनी अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे थे। सारिका ने रमला को कोल्ड ड्रिंक के साथ ऐसा पेय पिलादिया था जिससे उसका मष्तिस्क कुछ भी अच्छा बुरा नहीं सोच पारहा था।

      रमला को जैसा सारिका करने को कहती थी वह बैसे ही उसका अनुसरण कर रही थी। वह केवल अपने हाथ पैर ही हिलाने में सक्षम थी इसके अलावा उसे नही मालूम था कि यहाँ क्या चल रहा है।

       सारिका बहुत ही चतुराई से सभी रश्म जल्दी ही पूरी करवाने की कोशिश कर रही थी । होटल मे बहुत ही कम लोगौ को बुलाया गया था। विशाल ने अपने आफिस के दोस्तौ को भी इन्वाइट नहीं किया था। उसने आफिस में केवल इतना ही बताया था कि आज लड़का लड़की को आपस में मिलवाने का प्रोग्राम है।

         इसलिए विशाल सारिका व रमला ही आये थे इसी तरह वर पक्ष से भी बहुत कम लोग थे।

      कुछ समय में ही वहाँ एक मण्डप का इन्तजाम करवा दिया गया और एक पन्डितजी ने शादी की रश्म  शुरू करवादी ।

          कुछ ही समय में रमला व विवेक की शादी होगयी। रमला ने विवेक के साथ सात फेरे भी लेलिए।  यह पूरा कार्यक्रम बिलकुल फिल्मौ की तरह पूरा किया गया। एसा लग रहा था कि किसी फिल्म की सूटिग चल रही हो।

       इस पूरे कार्यक्रम की फोटोग्राफी भी करवाई गयी थी। जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर काम आ सके। पन्डितजी अपना काम पूरा करके अपनी तय की गयी दक्षिणा लेकर चले गये। उनको तो अपनी दक्षिणा से मतलव था। और बातौ से उनका कुछ भी लेना देना नहीं था।

       सभी रश्मै पूरी होने के बाद रमला अपनी ससुराल पहुँच गयी।उसकी ससुराल में केवल उसका पति ही रहता था। परिवार के अन्य सदस्य दूसरे मकान में रहते है वहाँ पर रमला के पति विवेक का छोटा भाई दूसरे मकान में अपनी पत्नी व बच्चौ के साथ रहते थे।

       आज विवेक के मकान को साधारण तरीके से सजाया गया था। रमला को तो अपनी शादी की कोई जानकारी नही थी वह तो केवल नशे जैसी हालत में थी।

         रमला को एक फूलौ से  सजे हुए कमरे में बिठा दिया गया था। एक औरत आकर वहाँ खाना रखकर बोली,"बेटी खाना खालो।"

रमला को कुछ होश आया और वह उस औरत से पूछने लगी," आप कौन है ? मै कहाँ पर हूँ ?"

उस औरत को रमला की इस तरह की बातै सुनकर कुछ आश्चर्य हुआ और वह बोली " बेटी  अब यह तेरी ससुराल है। "

       इतना कहकर वह औरत वहाँ से चली गयी उसे इन बातौ से कोई मतलब नहीं था। उसको जितना काम करने को बोला गया था उतना कर दिया। और वह कमरे को बाहर से बन्द करके चली गयी। वहाँ शादी जैसा माहौल नहीं था। 

        रमला अकेली बैठी रही।  कुछ देर बाद रमला को नींद आने लगी और वह वही लेट गयी।

      रात को विवेक शराब के नशे में आया ।
      उसने रमला को सोई हुई देखकर एक भद्दी गाली देते हुए बोला " आज सुहागरात है और तू सोरही है। चल उठ?"

       लेकिन रमला पर उसकी इन बातौ का कोई प्रभाव नही पडा़। वह जैसी थी बैसी ही लेटी रही।

     विवेक ने रमला को गालियाँ देकर दो तीन बार आवाज दी जब उसको कोई जबाब नही मिला तब वह कुछ नाराज हुआ और रमला को पकड़ कर बैठा दिया।

         रमला केवल शरीर से वहाँ बैठी थी उसको बिल्कुल होश नहीं था वह  सुन सब रही थी परन्तु उसमें किसी का बिरोध करने की हिम्मत नही थी क्यौकि उसके बदन में ताकत नहीं थी ।

         अब विवेक ने अपने कपडे़ उतारकर फैक दिए और अब वह रमला के बदन से कपडे़ उतारने लगा। रमला इसका बिरोध करने की कोशिश कर रही थी लेकिन कुछ भी करने में समर्थ नही थी।

       रमला अपने हाथ पैर चलाकर विवेक का बिरोध करने की कोशिश कर रही थी।लेकिन विवेक धीरे धीरे रमला के बदन को बस्त्रहीन करने में लगा हुआ था। विवेक ने एक एक करके उसके कपडे़ उतारकर उसके साथ सम्बन्ध बनाने की कोशिश  करने लगा।

         विवेक ने रमला के साथ बलपूर्वक सम्बन्ध बना लिए ।रमला दर्द से चीखती चिल्लाती रही परन्तु एक नारी हार गयीऔर मर्द कामयाब होगया। उस कमरे में पूरी रात  यही खेल चलता रहा  वहाँ नारी की चीखौ को कोई सुनने वाला नहीं था।

      रमला दर्द से चीखती चिल्लाती  रही।और विवेक अपनी काम बासना की पूर्ति करता रहा जब वह थक गया ।तब वह भी वही गिरकर हाँफने लगा।

      जब रमला की नींद दूर हुई तब उसको कुछ होश आया।जब उसने अपने शरीर को निर्बस्त्र  पाया और वह जल्दी उठकर अपने बस्त्र ढू़ढ़ने लगी। और उसने जल्दी ही अपने  शरीर को ढकने की कोशिश करने लगी।

     रमला को नयी जगह देखकर आश्चर्य होरहा था। उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था अब उसकी समझ में आरहा था कि इस आदमी ने उसके साथ पूरी रात गलत काम  किया है।

         उसे कुछ कुछ याद आरहा था कि उसे किस तरह तैयार करके होटल लाया गया था। इसके बाद  क्या हुआ था उसे कुछ नही याद आरहा था।   वह सोचने की कोशिश कर रही थी कि उसके साथ ये सब किसने और क्यौ किया।

                        " क्रमशः" आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए। 


कहानीकार  प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"











        


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1 Comments

Gunjan Kamal

31-Jul-2023 12:59 PM

👌👏🙏🏻

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